कुछ यू नज़र आए हुज़ूर
महफ़िल ए यारो की में
नज़रे शैतानियों भरी भी
ठहर गई पल भर को
छिपे हो तुम, पश्मीना
पोशाक में हद तक
फ़िदा है फिर भी मजनू
तेरे गिरते सम्हलते पल्लू पे
स्याह रंग यू ही नहीं
पहना है तूने आज दीवाली पे
तेरी आतिशी हंसी ने किए
रोशन परवाने हजार
लटकती लटो को सम्हाले
इठलाती सी चलती तुम
कैसे रखें काबू में दिल को
तू ही बता दे आज