बारिश भी मेरे हालात का जिक्र करती है
जब भी तन्हा होता हू, जम के गिरती है
हर बूंद, बड़े इत्मीनान से, मुझसे मिलती है
मेरे हर रोम को, तेरे होने की खबर देती है
दुंडती नज़रे मेरी तुझको हर तरफ बेसब्र
मेरी यादों में अब, तेरी झलक लेती हूं
दिल ये मेरा, कहे हर वक़्त, कब होगा मिलन
खुदा से हर नमाज़ में इल्तेजा मै करती हूं
पर, ये मौसम भी, बड़ा कमीना है
जब तू होता है, बरीशे कहा होती है
देव