तबीयत का बहाना बना
तुझे मिलने बुलाते
तेरे मखमली हाथो से
अपना सिर दबवाते
थोड़े से नाजुक ख्याल रखते
थोड़ी तेरी हमदर्दी पाते
अपनी, गमगीन कहानी सुना
तेरे गले लग जाते
पर क्या करे
शराफ़त ही मार देती है
काश, हम भी कुछ कमिने होते
तेरी तन्हाइयो में
तुझसे मिलने आते
तेरे आंसुओ को मिटते
तेरे गालों को सहलाते
सर्द हाथो का बहाना बना
तेरी हथेलियों को पकड़ पाते
पर क्या करे
शराफ़त ही मार देती है
काश, हम भी कुछ कमिने होते
तेरी रेशमी जुल्फो में
अपनी अंगुलियों की जगह बनाते
तेरे, हर घुमाव को,
हौले हौले से महसूस कर पाते
तेरे लबों की लाली को
थोड़ा हल्का कर पाते
पर क्या करे
शराफ़त ही मार देती है
काश, हम भी कुछ कमिने होते