भारतवर्ष के शहीदों के नाम
राहें ख़ुदा में मुलाक़ात हुई
कुछ बेदर्द बाशिंदों से
खुद को शहीद समझते थे
नसीब ए जहन्नुम तक ना पाया
लगे थे जमीं पे
ख़ुदा के रास्ते
खुद को ख़ुदा का
बेटा था बताते
खून की नदियां बहाना
बेकसुरो का कतल कर जाना
रोशन करने चले थे
अंधेरा भी ना मिल पाया
काम मेरा भी था कुछ यू ही
बस फ़र्ज़ मेरा था वतन मेरा
जिनको मारते फिरते थे वो
बचाने उनको खून बहाया
मेरे जाने पे, मां ने मेरी
फक्र से सिर है उठाया
पिता का सीना छप्पन का
जहां ये तब देख पाया
बदन पे मेरे तिरंगा
सलामी वतन परस्तों की
जिक्र हर जुबां पे होता है
मुकां यू ही नहीं पाया
ख़ुदा से मिलने का मौका
जन्नत में इक जगह मेरी
लोगो के दिलो में घर मेरा
शहीद यू ही नहीं कहलाता