यार

फिक्र ने छोड़ा, राहों में साथ मेरा
जब थामा, यारों ने हाथ मेरा

कुछ गिले शिकवे, कभी शिकायते
दर्द जब हो मुझे, पड़ते है यार आयते

वक़्त को क्या कहूं, यू ही गुजर गया
महफ़िल ए यार, चलती रही थामे पहर

वो कही हो, कभी ना दूर लगा
इश्क़ भी पास, इतना, कभी ना लगा

देव

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