तकदीर में लिखना है तुझे

वक़्त कभी टहरता नहीं
बस बड़ता जाता है
सोच को आगे बढ़ा
रास्ता काफी दूर तक जाता है

तनहा नहीं है तू
मुसाफिर हम भी इस राह पे
गिरने से ना डर तू
थामे हाथ होंगे सब तेरा

कब तक, कोसती रहेगी
किस्मत को अपनी
रात की तन्हाइयो में
जो चला गया, वो ना था तेरा
जो पाना है कल
तकदीर में लिखना है तुझे

देव

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