What I am today, that is because of women in my life, who played different roles.
This is women’s day, and these lines are dedicated to all women.
And they are strong, stronger than men.
स्त्री हूं, मैं कमजोर हूं,
हां, सब कहते है
क्यूं कि मैं स्त्री हूं, मैं कमजोर हूं
नौ महीने कोख में पाला
प्यार से वजन सहा
उसकी लातो को माना
मैने अपना सुख हरदम
बच्चो को जनने में
दर्द जो मैंने सहन किया
उसका पहला रोना सुन
हो गई मेरी जब आंखे नम
उन आंसू को किन लब्जो में
सबको कैसे बयां करू
हां, इसीलिए सब कहते है
मैं कमजोर हूं
भैया को जब मिला खिलौना
मैं आटे संग खेली
भाई करे जब बॉल से मस्ती
मैंने रोटियां बेली
रोज रोज के ताने सुनती
मां बापू की बाते
क्यू हो गई मैं पैदा
रोज करे फरियादे
ख़ुदा से पूछा, बता अब मर्जी
मैं किसको दुख अपना बोलु
हां, इसीलिए सब कहते है
मैं कमजोर हूं
विदा किया, मान बोझ जब अपना
ये घर हुआ पराया
सास ससुर ननद देवर क्या
पति भी ना सुख दे पाया
जो घर अपना मान था मैंने
बड़े प्यार से सजाया
उसी घर में, जगह तो क्या
कुछ ग्राम प्यार ना पाया
अपने दिल का हाल कहो
मैं किस को जा कर बोलू
हां, इसीलिए सब कहते है
मैं कमजोर हूं
पर, हां, मैं ही हूं,
जो सब सह सकती हूं
तुम ये सब ना कर पाओगे
कितना ही मजबूत बना लो
कुछ पल में ही ढह जाओगे
नफ़रत के बदले में तुम
प्यार कभी ना दे पाओगे
पालो कितने ही बच्चे तुम लेकिन
जनने का दर्द ना सह पाओगे
अपना कलेजा निकाल के झट से
कभी नहीं तुम दे पाओगे
खिला निवाला आखरी उनको
भूखे ना तुम सो पाओगे
मर्द बने फिरने वालो तुम
औरत ना कभी बन पाओगे
क्यों कि, हां, मैं मर्द नहीं
पर, मैं कमजोर नहीं हूं
हां, मैं स्त्री हूं, पर कमजोर नहीं हूं
देव