इस्तकबाल

अपने ख़यालो को,
खामोश रखोगी कब तक।

हिसाब लकीरें लांघ कर,
ना निकल पाएंगे कब तक।

मेरे आने जाने का दस्तूर भी,
एक हद तक है।

तू बड़ा हाथ जरा,
वजूद मेरा इस्तकबाल में है तेरे।।

देव

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