कुछ और पल अदा करता…

दिन, क्यूं इतना छोटा होता है
जब, साथ में तू होता है
कुछ तो ख़ुदा रहम करता
कुछ और पल अदा करता

वो इश्क़ का आलम,
वो मस्त माहौल
यारो की हंसी
चेहरों पे खुशी

वो बल खाके चलना
बालों का उलझना
वो सरकता पल्लू
नजरो का झुकना

हाथो से तेरे
वो रंग लगाना
रंग गाल मेरे चुपके से
तेरा कहीं छुप जाना

मेरी परेशान नजर
बैचेन आवाज पे
हौले से तेरा
बाहर आना

आगोश में मेरे
तेरा समा जाना
एक तक मुझे
तेरा देखे जाना

ऐसे में तेरा वापस जाना
कैसे में कहूं, क्या कह पाता

कुछ तो ख़ुदा रहम करता
कुछ और पल अदा करता

देव

Leave a Reply