मशवरा

लोगो के मशवरे में,
गुजारी ताउम्र
लोग बदलते रहे,
हम, हम भी ना रहे

तलाशा फिर से खुद को,
रद्दी किताबो में
ख्वाहिशों को अपनी,
समेटा अपनी झोली में

चला, फिर से, तलाशें मंजिल,
ना फिर चूक मैं जाऊं
एब सुनकर भी अपने मैं
जाता भूल हूं कुछ पल में

देव

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