इक यज्ञ कर रहा हूं।
अभिशप्त है धरा,
पवित्र कर रहा हूं।
इक यज्ञ कर रहा हूं।
वीर था वो रावण
जिसने सीता को था हरा
मर्यादा इतनी तो रखी
नज़रे थी झुकी, ना हाथ भी धारा
अब राम के मुखौटे में
रावण बने है फिरते
पर स्त्री को है तकते
इज्जत ना बख्शते
उनको रावण बनाने का
प्रपंच कर रहा हूं
इक यज्ञ कर रहा हूं।
नन्ही सी बालिका को
दुलार दे ना सकते
मां की करे ये पूजा
मां ही ना बनने देते
कोख में ही देते
कोख होने की सजा
मां ही नहीं है सुनती
क्यूं मां की इल्तेजा
माताओं को जगाने का
संकल्प कर रहा हूं
इक यज्ञ कर रहा हूं।
अभिशप्त है धरा,
पवित्र कर रहा हूं।
इक यज्ञ कर रहा हूं।
देव