मेरी कॉफी का मग
मुझसे आज अचानक बतियाने लगा
मुझे अपनी कहानी बताने लगा
कहता है, जब देखो लोग मुझे
हर काम में बुलाते है
कोई यारो को पिलाते है
कोई लड़कियों को लुभाते है
हर बात में कहते है
आओ कॉफी पीते हैं
इश्क़ की शुरुआत यही कही
मेरे आसपास हुआ करती है
जब, मेरे बहाने से, टेबल के
दूसरी तरफ नज़रे मिलती है
एक एक चुस्की, एक घंटे में लेते है
नहीं मैं तो बहाना हूं, मेरे बहाने
हजारों दिल मिलते है
यही कॉफी यारो को पास लाती है
गली के नुक्कड़ पे,
बैठे दोस्तो की कहानियां, चलती ही जाती है
यही नहीं, अमीरों को मेरा स्वाद और भी भाता है
कड़वी ही सही, पर, कोई ना दूध, ना चीनी मिलता है
मैं वहीं कॉफी हूं जो मां की रसोई से लेकर, महंगे रेस्तरां में मिलती हूं
पर कहा पिलाई जाती हूं
इंसान की औकात बताती हूं
देव