पथरीली बंजर जमीन
हां, पथरीली बंजर ज़मीन
सी जिंदगी बन गई है
तेरे चेहरे पर रहने वाली
हसीं, कहीं गुम गई है
सफेदी की परत, बालो पर
और कोयले की चमक,
तेरे गालों पर चढ गई है
बरसेंगे बादल अब तो जमके
यही अहसास है
सूनी आंखें, बेटक गड़ी है क्यारियों में
अब तो खिलेंगी कोंपले,
जीने की, इक यही आस है
देव