कर्ज और फ़र्ज़ के दरमियान,
दिन यू ही गुजर गया।।
वक़्त का पता ना चला,
खाली हाथ आया था,
खाली चल दिया।।
दो पल, कभी देता में खुद को,
सोचने का पल ना था।।
जो पल मिले, बमुश्किल कभी,
यादों में जाया हो गए।।
कुछ पल बचे तो, इश्क़ करले,
इश्क़ में रब है बसा।
किस पल में सांसे छूट जाएं,
ना तुझको है, ना मुझे है पता।।
देव