हां, इश्क़ ही तो है
जो हर पल,
तेरा नाम लेते है
अजी सुनना,
हर वक़्त आवाज देते है
हां, इश्क़ ही तो है
कि तेरी, पायजेब के बजने से
ध्यान, जो कहीं था
भटक जाता है
और गौर से सुनना,
समझना, तेरी आहट को
तू आ रही है,
या जा रही है
हां, इश्क़ ही तो है
कि होटल का खाना
खाकर भी, घर आकर
तुझसे दो फुल्के सिकवाना
सुबह की सब्जी,
फ्रिज से निकाल,
और अचार से खाना
चांदनी रात में
हौले से तुझे बुलाना
और धीरे से कहना
सुनो, कुछ मीठा हो तो खिलाना
हां, इश्क़ ही तो है
जो हर पल,
तेरा नाम लेते है
अजी सुनना,
हर वक़्त आवाज देते है
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