तलाश, तुझे भी है, मुझे भी
राहत ए दिल, हमसफ़र की
पर ना तू, देखती है, ना मैं पहचानता हूं
पर्दा अहम का, चढ़ा के जो बैठे
देव
बस, अपनी कलम से,
यारो की दर्द को,
काजग पर उकेरता हूं
कितनी नादान है वो
समझती है मैं
याद में उसकी लिखता हूं
देव
कब तक अपनी नाकामयाबियों का इल्ज़ाम।
वक़्त और हालात पे डालते रहोगे।।
कितनी बातो को भुलाते रहोगे।
कितनी यादों को मिटाते रहोगे।।
काश! तुम मैं, और मैं तुम बन जाऊं।
तू मेरा दर्द, मैं तेरी ख्वाहिशें समझ पाऊं।।
बख़्शी है, खुदा ने ज़बान तुमको,
नहीं अदा किया खुदा ने, ये हुनर हमको।
हम तो बस यूं ही, लकीरें बनाते है,
रंग भर जिंदगी, तुम करती हो अदा।।
देव
रूह मेरी, कोई जिन नहीं,
जो तू कैद कर ले जाएगी।।
बहता दरिया हूं में,
नादान, तू खुद ही बह जाएगी।।
देव
मौसम भी आजकल, धोका देता है
जब वो नहीं होती, हसीं होता है
देव
काश! तुम मैं, और मैं तुम बन जाऊं।
तू मेरा दर्द, मैं तेरी ख्वाहिशें समझ पाऊं।।
देव
शुक्रिया उनको अदा,
जो तन्हा मुझे छोड़ गए।
कुछ पहचान उनकी मिली,
बहुत खुद को पहचान गए।।
अब, करे भी तो क्या,
आइने में खुद को देखते है।
खुद में गलती दुंडते है,
खुद ही को ठीक करते है।।
देव
चलो, इस जहां में तो काफी उलझने है
सवारने में वक़्त क्यू गुजारे
सपनो में ही सही, पास तो है तेरे
आज फिर चलते है, मुसाफिर बनकर
देव
कब्बख्त, फिर भी हो जाता है
क्या करे, ऐतबार है, पर प्यार नहीं
देव
नजर बंद करके, देखो इकबार
तेरी गलियों के रहगार है हम
देव
जिंदगी अनमोल मिली है तुझको
मेरे इंतजार में, यू जायां ना कर
हर मोड़ पे मिलेंगे, हजार अफसाने
मेरे फसाने पे, ऐतबार ना कर
देव
चाशनी, जैसे तेरे लब्जो को
सुनने की ललक लगती है
जब भी चीनी काम होती है
तेरी बातों से चाई बनती है।
देव
अब डूब भी जाए तो क्या
जनाजे को, तेरे आशिक़ के,
कागज का ही सही
कफ़न तो नसीब होगा
देव
आवारगी भी क्या, अब सलीके से करे
सलीका था जब तक, तो हाल ये कर बैठे
देव
तेरी खुद्दारी की जो बात है
ईमान मुझमें भी बाकी है अभी
देव
बस, याराना रहने दे
इसे कुछ और ना बना
अक्सर,
पहचान बदलने से
लोग बदल जाते है
देव