तू नहीं रहती वहां, पर तकता हूं आज भी…

मेरा आना जाना भी, उसी गली से था
जिस गली में, कभी तेरा घर था

देखा है मैंने कई बार, तुझे बाल सुखाते हुए
उलझी हुई सी जिंदगी को, संवारते हुए

तेरे लबों की मुस्कुराहट ने, कितनो को लुटा है
जाने, कितने दिलों का, दम वहा छूटा है

राहें बदल गई, फिर भी, गुजरता हूं आज भी
तू नहीं रहती वहां, पर तकता हूं आज भी

देव

Leave a Reply