लोग क्या कहेंगे
यही सोचती रही वो
अपने से ही, अकेले में बाते
अपनों से ही मुलाकाते
करने को मजबूर है वो,
अभी ही तो उसका साथ छोड़
वो कही चला गया था
उसे, अपने हाल पर अकेले
यही छोड़ गया था
और वो है, कि आगे बढ ही नहीं पाई
जिन्हे अपना कहते है, उन्हीं ने
पावों में, लोग क्या कहेंगे,
की बेडिया लगाई
लोगो का क्या है, कुछ भी
कहते रहते है
उन्हें क्या पता, जो तन्हा होते है
दर्द क्या सहते है
आगे बढ, दो कदम जब तू बढ़ाएगी
एक मांजिल ही तो छूटी है
और मिल जाएगी
वो भी तो अकेला ही है
जिसने तुझे कॉफी पर बुलाया था
लोगो क्या कहेंगे, इसीलिए
हाल ए दिल ना कह पाया था
समझ उसका भी दर्द, तुझसे
कुछ ज्यादा ही होगा
उस पर तो उसके है घरवालों का भी
विश्वास नहीं होगा
आदमी है वो, आसान नहीं उसका जीना भी
इसीलिए कदम तुझको उठाना होगा
मुश्किल नहीं है ये इतना भी
तू बड तो सही, ऐतबार कर तो सही
तुझे मिलेगी मंजिल फिर से नई
देव