हमे तो दिल जवान चाहिए..

कोई वक़्त था, जब लोग सलाम ठोक कर जाते थे
जब भी कहीं मिल जाते थे
साहेब, कैसे है आप, कोई काम है तो बताना
ऐसी बातें कर जाते थे
पर अब, में ६० के पार चला गया हूं
और अक्सर, मोहल्ले के बीच में लगी
बेंच पे मिलता हूं
आज भी लोग सुबह शाम सामने से निकलते है
पर नज़रे नहीं मिलाते, नमस्ते बोलने में झिझकते है

मैं भी बस, घरों के रोशनदानों में बनी जालियों को गिनता हूं
और कभी, उनके आस पास मंडराती
चिड़ियाओं को तकता हूं
पर ये भी, नागवार गुजरता है
जब, इन्हीं घरों में रहने वाले बच्चो में से
हां, वो बड़े है, लेकिन मेरे लिए तो बच्चे हैं

जब इन्हीं घरों में रहने वाले बच्चो में से
कोई आकर मुझसे कहता है
बाबूजी, आप क्या दिनभर घर में झांकते रहते है
कुछ शरम करो, बहू बेटियां रहती है यहां
क्यूं ताड़ते रहते हो

कुछ तमन्नाएं, जो कभी रह गई थी अधूरी
पूरी करने की कोशिश भी करी
आजकल, अपने गले की, थोड़ा साफ कर
गाने की जुर्रत करी
पर ये भी, कहा बर्दास्त है जमाने को
क्या भूत चड़ा है बुडे को, जो अब गाने लगा है
बच्चो के साथ बच्चा भी बनने की कोशिश करी
पिछली बार, एक शाम, पब में कटी
आज तक ताने, लोगो के सुनता हूं
साठ के पार है, पर बहुत उछलता है

अब कुछ भी करे, सठिया गए है
का टैग, लग गया हैं
जमाने के साथ चले या अपने जमाने में चले
कुछ नहीं पता है

पर, किसी ने कहा है,
जिंदगी लंबी नहीं बड़ी जीनी चाहिए
इसीलिए, अब नहीं करता परवाह
बूढ़ा होगा तेरा बाप
हमे तो दिल जवान चाहिए

देव

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