मेरे हर अंश में समाया, उसी का रंग है…

आज मैंने खुदा के आगे सिर झुकाया था
उसको, जल्दी बुला लो, ए खुदा
यही पुकारा था

शिद्दत से घूरती थी, नजर रखती थी
छत के निशानों पर
कहानी गड़ती थी, ग़ज़ल लिखती थी
बीती बातों पर

बड़ी उम्मीद में जीती थी, दुआ करती थी
मस्जिद की चौखटो पर
तवज्जो देती नहीं, अल्ला हाफ़िज़ कहती थी
मौत के फरिस्तो को

पर आज, लेटी है, बड़े इत्मीनान से अपने
जैसे, कह रही हो,

बेटा,
बहुत कर ली मेरी सेवा
अब जा, जीले जिंदगी अपनी,
बाकी है, काफी उमर तेरी
ना रोना, मुझको कर याद तू
दर्द मुझको ही होगा यूं
जो ना खुशी चेहरे पे तेरे हो
भला मुझे जन्नत मिलेगी क्यूं

मैं अब भी उसका ख्याल रखती हूं
जहां भी वो हो, खुश उस रखती हूं
खुश हूं कि अब उस दर्द नहीं होता
जब भी आंखे मूंडती हूं
उसके करीब होने का अहसास है होता

वो मां है मेरी, मै उसका ही तो अंश हूं
मेरे हर अंश में समाया, उसी का रंग है
मेरे हर अंश में समाया, उसी का रंग है

देव

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