और जाने कितनी मुलाकाते हुई

लग रहा था, हां अभी कुछ पी पहले ही तो आया था
बस, कुछ बाते करी और कॉफी ही तो पी
पर ना जाने, उसकी सामने वक़्त कब गुजर गया
उगता सूरज, जाने कब, सांझ दे गया

अरसो बाद, कुछ तसल्ली से, उससे बातें हुई
कब कैसे कहा मिले थे पहली बार
सिलसिलेवार ढंग से,यादे ताजा हुई

कुछ बातें, जो कहीं छूट गई थी अधूरी
कुछ सवालों के जवाब, तलाश रहे थे अब तक
आज बेफिक्र, बे लिहाज बिंदास पूछताछ हुई
ना वो शरमाई, ना मैं घबराया
बड, वक़्त रुका रहा, और जाने कितनी मुलाकाते हुई

देव

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