मेरा हाल पड़ कर, उसने भी कुछ पंक्तियां लिखी।
उसके आइने में, मुझे अपनी तस्वीर दिखी।।
वक़्त कब कटेगा, बेसब्र बेइंतेहा है हम।
दीदार ए यार को, कब से बेताब है हम।।
कब, थमेगी सांस मेरी, कब तल्ख करेगा खुदा।
कब रूह एक होगी, कब होगा अफसाना बयां।।
देव
मेरा हाल पड़ कर, उसने भी कुछ पंक्तियां लिखी।
उसके आइने में, मुझे अपनी तस्वीर दिखी।।
वक़्त कब कटेगा, बेसब्र बेइंतेहा है हम।
दीदार ए यार को, कब से बेताब है हम।।
कब, थमेगी सांस मेरी, कब तल्ख करेगा खुदा।
कब रूह एक होगी, कब होगा अफसाना बयां।।
देव
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