कान्हा…

घुंघरू, बांधे नाचे राधा
कृष्णा, मुगध हो देखे
कहा, से आवत
छन छन अवजवा
सखियां सारी रतिया ढूंढे

रात की बेला
रतियो का मेला
प्यार भरा मनचला खड़ा
तेरे घूंघरू खनक खनक कर
मन मोहे ललचावे बड़ा

देव

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