छिपा रखा है यौवन को अपने
सारी में बांधे, तन को अपने
टहल रही है वो, कुछ इतरा कर
कर दिए है कितनो के, जवां सपने
कोई सीधे, कोई तीछी नज़रों से टटोले
कोई खुल कर, कोई रुक कर हैलो बोले
रुक जाते है कदम, चलते चलते
पल्लू हटाकर, जुल्फें जो तू खोले
देव
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छिपा रखा है यौवन को अपने
सारी में बांधे, तन को अपने
टहल रही है वो, कुछ इतरा कर
कर दिए है कितनो के, जवां सपने
कोई सीधे, कोई तीछी नज़रों से टटोले
कोई खुल कर, कोई रुक कर हैलो बोले
रुक जाते है कदम, चलते चलते
पल्लू हटाकर, जुल्फें जो तू खोले
देव