सुलझ सुलझ कर जो किया
प्रेम कहा कहलाए
उलझे धागा आपस में
वस्त्र तभी बन पाए
ढाई आखर प्रेम का
राधा कृष्ण दिखाए
अगाध प्रेम संग में करे
मिलन नहीं हो पाए
प्रेम में को लालच करे
नहीं प्रेम वो पाए
देव काहे जब त्याग करे
तभी प्रेम फल पाए
देव
सुलझ सुलझ कर जो किया
प्रेम कहा कहलाए
उलझे धागा आपस में
वस्त्र तभी बन पाए
ढाई आखर प्रेम का
राधा कृष्ण दिखाए
अगाध प्रेम संग में करे
मिलन नहीं हो पाए
प्रेम में को लालच करे
नहीं प्रेम वो पाए
देव काहे जब त्याग करे
तभी प्रेम फल पाए
देव