नशा हमको तब ही चड़ता है, जब तू हंसता है

जब वो ही नहीं मेरी, तो उसकी याद भी क्यूं
मैं अब अक्सर, सपनों में भी साथ मेरा रखता हूं

उसकी तस्वीर भी तकदीर से निकली अब तो
शाम को अब जाम भी, नहीं पीता हूं

यार, है कुछ, जो है मेरे जैसी किस्मत वाले
कभी वो ग़ज़ल कहते है, कभी मैं शायरी लिखता हूं

ऐ यार, यूं शिकन तेरे माथे पर, नहीं लगती अच्छी
नशा हमको तब ही चड़ता है, जब तू हंसता है

देव

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