ना मुझे मेरे नाम से जान पाओगे

नाम, मुझे मेरा ही लेकर पुकारोगे
तो मैं आऊंगा
वरना, तेरी आवाज़, यू ही टकरा के
दीवारों से लौट जाएगी
तेरे कानों में तेरे लब्ज़ गुनगुनाएगी
जो मैं नहीं, जरूर वो तू होगा
गुनाहों का हिसाब,
तेरे खाते में, तकदीर लिखती जाएगी

मुझे भी पता है,
ये नाम यही रह जाएगा
मेरी रूह चलीजाएगी
पर, मेरा निशा मेरा नाम ही कहलाएगा
मेरे अच्छे, बुरे कामों को गिना जाएगा
मेरे नाम पे कहीं परचम लहराएगा
तो कहीं मातम मनाया जाएगा
कहीं सोने के शब्दों से लिखा जाएगा
कोई कागज पर लिख कर आग में जलाएगा
तू, ना बदल इसे, ना बिगड़ यू ही
कितनो की उम्मीदें मिटा यू ही
जो नाम पचास रख दोगे मेरा तुम
ना मेरा काम याद रख पाओगे
ना मुझे मेरे नाम से जान पाओगे

देव

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