हम हर रात ईद मानते है..

यू तो हम हर रोज, चांद देखते है
हर रोज ईद मनाते है
पर खास है चांद आज का
जब से मिली है नूर ए नजर
सितारे भी चांद नजर आते है

कभी, कोई टूटता सा, ज्यों ही दिखता है
मन्नते लाख मांगने लग जाते है
लाख मन्नतों है, पर दुआ में बस
खैरियत यार, बस तेरी चाहते है

तेरे नूर का, आलम भी, कोई ना पूछे
रात, रात नहीं रहती है
और जेठ की गर्मी में भी
सर्द रातों सा सुकून आता है

तेरे मखमली हाथो में छिपे चेहरे से
हटा पर्दा, हम हर रात ईद मानते है

देव

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