नज़रों मिली जब उनसे, वो मदहोश हो गई
मोहब्बत आज उससे रूबरू हो गई
देव
बड़ी तसल्ली से, आइने से उसने, की मुलाक़ात आज
दीदार ए सनम भी हुआ, इश्क़ में दिल हुआ बेताब
देव
खताओं ने तेरी
हमे सजा ए मोहब्बत दी है
इक यही तो अमानत है
कैसे, लौटा दूं, यू ही तुमको
देव
कर के तो देख, ऐतबार मेरी तरह
पाओगे हर पल खुशी, मेरी तरह
देव
माना धोका, खाया है, इश्क़ में तुमने
पर अच्छा है, वो तेरे काबिल ना था
तू भोर की किरण बन,
फिर उजला सवेरा दिखा
वो सांझ का दीपक था,
थपेड़ों में आंधियों के बुझ रहा होगा
देव
तू गैर कहा, मेरी हर ग़ज़ल में जिक्र तेरा है
मै आशिकी तेरी, तू इश्क़ मेरा है।
हजारों जख्म आए है, रूह पे मेरी
जिंदा मुझको रहने वाला, नाम तेरा है