आंचल

I was in metro, and saw a girl, standing bit away from me, here is my observation about her..

सिर पे डाले आंचल
खड़ी है सिमटी सी
सोच में डूबी
गुमसुम गुमसुम
कुछ सहमी
कुछ इठलाती सी

होठ हिले, कुछ बलखाए
लगा अभी हंस देगी वो
रोके आती मंद हसीं
पल पल है शर्माए वो

बड़े सलीके से है
कपड़े पहने
सलवार सूट में
जचती वो

हाथो में सम्हाले
मोबाइल अपना
सिर का आंचल
सरकाए वो

नजर टिकी है
सबकी उसपे
एक बार तो खुल के
हंस दे वो

वारे जाऊ,
अदा पे उसकी
काला टीका जरा लगाले
नजर जमाने की, लग जाए क्यूं

देव

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