केसरिया रंग चड़ा मुझपे मौला मेरे

केसरिया रंग चड़ा मुझपे मौला मेरे
केसरिया रंग चढ़ा मुझसे मौला मेरे
हो गई है मोहब्बत, जमीं से मेरे
हो गई है मोहब्बत, जमीं से मेरे
केसरिया….

भुला दिया था कबसे, इसकी चाहत को
ना थी मंजिल की खबर, ना रास्तों का पता

तू जो मिली, मिला सूकुं दिल को मेरे

केसरिया रंग…..

जान मेरी है तेरी, हूं तुझ पार कुर्बा
खून का हर कतरा, बहे तुझपे मां

हिंदोस्ता है इश्क़ मेरा, बसा दिल में मेरे

केसरिया रंग….

देव

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