खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।

I know, reading long poetry is tough, but this is not for love, friend or tears….
This is for India….

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।
अभी तो दूसरी पारी शुरू करी है
अभी तो 370 को फांसी हुई है
अभी तो पुनर्जन्म लद्धाख को मिला है
अभी तो तीन तलाक़ को रुखसत मिली है
अभी तो बस कुछ महीने की सरकार हुई है
अभी तो कन्हैया पग पर चले है
और इसी में दानवों हालत पस्त है

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।

भूल गए, जब जन्म लेने से पहले
भयंकर तूफान आया था
बच्चा ही तो है,
ये समझ कर, अहंकार दिखाया था
युवा नेता के नाम पर
युवाओं को भड़काने का जतन लगाया था
अपनी हार का जिम्मेदार, जनता को बतलाया था
शब्दों के ज्वार बना कर तुमने
प्रलय काफी मचाया था

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।

भूल गए, जब जन्म लेने से पहले
भयंकर तूफान आया था
फिर भी, जन्म तो होना था, होगया
स्वयं प्रभु ने जैसे अवतार लिया
अपनी माया से जग को जगाया
संसार को सारे वश में किया
सारी काली मुद्रा को पल में
तिजोरियों में से गुल था किया
कुछ समझ गए माया तब तक
कुछ ने था तब भी हड़कंप किया
शिकंजा कड़ा भगोड़ों पर
भ्रष्ट नेताओ को अस्त किया

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।

फिर महाभारत का कठिन समय
आया, और युद्ध का प्रण लिया
इस बार सफा कर कौरव को
सत्य को लाने का प्रण किया
मिल सारे पापियों ने अपनी
सेना एक बनाई थी
जनता को जीतने के एवज में
जनता को दी गालियां थी
पर कहा रुकेगा सुदर्शन ये
इसने त्राहि मचाई थी
इस बार दुश्मनों की उसने
उनके घर में पछाड़ लगाई थी
भारत मां का सम्मान लौटने की
कसम थी सबने खाई थी
सर्वनाश कर पापियों का
जनता की सरकार बनाई थी

खुश हो लो, कुछ दिन और खुश हो लो।
अभी तो बहुत कुछ करना है
कश्मीर का हिस्सा जुदा जो है
भारत को वापस देना है
आतंकियों को पनाह जो से
उनको आतंकित करना है
जयहिंद बोलने में शर्मिंदा हो
उसे चौराहे पे नंगा करना है
नापाक है पाक सालो से
पाक उसे भी करना है
जो राष्ट्र ध्वज की तौहीन करे
उसे फांसी पर लटकाना है

खुश हो लो, तुम कुछ दिन और खुश होकर
स्वयं सुदर्शन चले कर्तव्य निभाने
अब पाप का अंत तो होना है
अब पाप का अंत तो होना है

देव
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