जो है करीब, एक दिन छोड़ कर जाएंगे। जतन हजार कर लो,
एक दिन, दिल जरूर दुखाएंगे।।
कसूर उनका भी नहीं है इसमें
ये हमारी फितरत है।
जो मिल जाता है कोई हमसफ़र,
सजा लेते है हजारों उम्मीदों की किरण।।
यही उम्मीद, दिलो में आस जगाती है।
अपनों को अपना समझने के
कारण बताती है।
रौनक जिंदगी में हद से ज्यादा जब बड जाती है।
चक्र है प्रकृति का, उदासी तभी पैर पसारती है।।
उम्मीद अपनों से को की है हमने।
वहीं हमे दुख के गहरे समंदर में के जाती है।।
बना अपना, पर ना लगा आशाओं की कतार।
जिंदगी छोटी है, बना अपना, ना कर रिश्ते बेकार।।
उम्मीद खुद से लगा, बहुत आगे जाएगा।
कोई ना होगा करीब, तन्हा तब भी ना खुद को पाएगा।।
देव