बचा कुछ वक़्त जरा, तू अपने लिए।।

कहां खोई है
किस उलझन में है डूबी।
जीले, कुछ पल है जिंदगी के,
जाने कब, रुखसत ए जिंदगी से हो जाएं,
सब रह जाएगा, यू ही।।

माना, जरूरी है,
ये नौटंकी, जीने के लिए।
कमाना, जरूरत है,
जिंदा रहने के लिए।
पर जब जी ही नहीं सके,
तो जिंदा क्यूं है।
झोली में इतना क्यूं भरे,
जब जरूरत नहीं है।।

बीता ले, कुछ पल,
जिंदादिली के।
बीता कुछ दिन,
यारो के साथ,
जिंदगी के।
ना रख मलाल,
आखरी पल के लिए।
बचा कुछ वक़्त जरा,
तू अपने लिए।।

देव

Leave a Reply