तेरा शहर

तेरे शहर में, कदम उसके यूं ही नहीं पड़े।
खुदा ने, जरूर कोई मकसद, लिखा होगा।।

नहीं जो नाम लेता था, लबों पर तेरा।
तेरे नाम की माला से, अकीदत कर रहा होगा।।

तसव्वुर जब किया तेरा, तेरी गलियों में।
उसके जेहन में, तेरा रूप बस गया होगा।।

मैं पड़ नहीं सकता किस्मत, पर जानता हूं इतना।
ख्वाब तूने जो देखे है, पूरा पल में कर देगा।।

भूल कर अपने दर्दो को, बस तेरी एक आह पर।
जमाने भर की खुशियों को, तेरे नाम कर देगा।।

देव

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