तू हर वेश में जंचती है

तू हर वेश में जंचती है,
हर रंग तुझपे फबता है
तू फैशन नहीं करती
फैशन तुझसे निकलता है

ये पहली बार नहीं, देखा है पहले भी कभी
तेरी जुल्फों से तेरा हुस्न और निखरता है

नज़रे रुक जाती है, कदम थम जाते है
साडी का पल्लू, तेरे कंधे पर जब सिमटता है

तेरा अंदाज़, तेरा तीखापन, तेरा अफसाना
तेरी साड़ी की सलवटों में, झलकता है

देव

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