तेरा क्रंदन देखकर, बह निकली अश्रुधारा।
कुछ वक़्त और सह के पीड़ा, फिर होगा वक़्त निराला।।
मैं क्यूं चित्त में चिंता भर लू, होत वहीं को प्रभु प्यारा।
स्वयं प्रभु की मर्जी से, चलता है जग ये सारा।।
देख ये माया, कृष्णा की, कृष्ण बना मेरा लाला।
रचे है ये देखो लीला कैसी, पी कर विष का प्याला।।
अपनी भोली सूरत से, सबको है ललचाए।
बुद्धि कैसी भृष्ट करी, स्वयं विनाश द्वारे बुलाए।।
देव