दिल में है जीने के अरमान, जी रहे है हम

आज फिर सुबह हुई, और मैं थोड़ा तफरी पर निकली
बगीचे में कुछ लोगो से का हुजूम दिखा
लगा गपशप में मगशूल होंगे
चलो हम भी शरीक होते है
कुछ सुनेंगे कुछ सुनाएंगे
थोड़ा हंसने बहुत हसाएंगे

बस, इसी उम्मीद से चल दी
उसी भीड़ में मिल गई
पर ये क्या, यहां तो शिकायतों का अंबार था
चिंताओं का विशाल पहाड़ था
नाम तो जानती नहीं में किसी का
पर कुछ को पहचानती हूं
सब्जी या दूध वाले की तरह
सबके नाम जानती हूं

झुमके वाली को अपने बच्चे की बड़ी चिंता है
कि वो बस दिन चार घंटे पड़ता है
पता नहीं, इस तरह उसका भविष्य क्या होगा
नहीं और पड़ेगा तो नौकरी में फिसड्डी होगा

और वो, ठुमकने वाली की थी चिंता निराली
उसका वजन कम हो गया है
लगाया है कमर में बाल भी पड़ गया है

टून टून्न आंटी को भी वजन की चिंता है
पूरा बदन उनका टायरो से बना है
बस दिन में 6 बार ही तो खाती हूं
फिर भी पतली नहीं हो पाती हूं
वैसे घर उनका बेलेंस है
पति के शरीर में मास का नहीं अवशेष है

हाय रे, अब इस सुंदरी को भी चिंता हो सकती है
इसी बात पार मेरी नज़रे टिकी है
पर वो भी परेशान है
पति उसका नहीं करता नज़रे चार है
जब देखो काम में व्यस्त रहता है
जब कहती हूं सुनो, एक और डायमंड दिला देता है

ये है हमारी, किटी, जिन्हे किटी पार्टी का शौक है
और औरतों के लिए होता उन्हें अफसोस है
कभी इसकी, तो कभी उसकी चुगली चलती रहती है
नहीं रुकती जुबां उनकी, चलती रहती है

कुछ देर इस कचर पचर में बीता
सोचा, मेरी जिंदगी कूल है
ना पति की परवाह, ना कुछ पाने का फितूर है
बच्चा है, पर उसे अपने हाल पे छोरती हूं
मैंने क्या उखाड़ लिया,
यही सोच उसे परेशा नहीं करती हूं
नहीं परवाह मुझे आज क्या होगा
और पति है नहीं, जिसके ना देखने पे अफसोस होगा
वजन कुछ कम ज्यादा हो भी गया तो क्या गम
दिल में है जीने के अरमान, जी रहे है हम
बस यही सोच, वापस घर चल दी
बैठ कर आराम से सोफे पर
सुनते हुए गाने मनपसंद,
लेने लगी कॉफी की चुस्की

देव

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