स्त्री हूं मैं, स्त्री ही रहने दो

कब तक मुझे संज्ञा दोगे
कब तक तुलना मेरी तुम करोगे
कब तक मेरे स्पर्श को मापोगे
कब तक मेरा तिरस्कार करोगे

मैं इंसान हूं, एक दिल मुझमें भी है
आंसू मुझे भी आते है, दर्द मुझे भी होता है
सम्पूर्ण हूं है, परिपूर्ण हूं मैं
जो जिंदा है, अंश मेरा ही है
मां भी हूं, बहन बेटी भी हूं
अर्धांगिनी बनी पत्नी भी हूं

बलिदान दिए मैंने कितने
एक दिन मुझे तुम भी देदो
इज्जत गर ना दे सकते हो
स्त्री हूं मैं, स्त्री ही रहने दो

देव

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