अदा तेरी, कुछ कम ना थी

अदा तेरी, कुछ कम ना थी
उस पर, तेरा, जरा सुनना, बोलना
मेरा मुड़ना, तेरा एकटक देखना
फिर कुछ नहीं बोलना
मुस्कुराना, सिर को होले से झुकना
सारी का पल्लू, अंगुलियों में बांधना
फिर खोलना, फिर बांधना
मेरा पलटना, और तेरी हल्की सी खंखरना
बस, हर बार यही सिलसिला ही तो
मुझे दीवाना बनाता है
तेरे और करीब लाता है

तेरा नाम, मेरे फोन पे आना
मेरा हैलो बोलते हुए फोन उठाना
कुछ देर का सन्नाटा,
उसे चीर कर, तेरी सांसों की आवाज आना
धीमी आवाज में, कहा हो बोलना
और फिर बिना रुके दस और सवाल पूछना
मेरी आवाज़ से मेरा हाल जानना
ध्यान रखना अपना, मुझे ये बताना
बस, हर बार यही सिलसिला ही तो
मुझे दीवाना बनाता है
तेरे और करीब लाता है

घंटी बजने के पहले, दरवाजा खोलना
अंदर आने के पहले, लेट क्यूं ही गए पूछना
थक गए होगे, कह कर बैठाना, एक गिलास पानी पिलाना
साथ में बैठ, चुस्की चाय की लेना
चाय में मीठा भूल, अपनी अंगुली को हिलाना
मेरे माथे को रख गोदी में, सहलाना,
और मुझे देखते जाना
बस, हर बार यही सिलसिला ही तो
मुझे दीवाना बनाता है
तेरे और करीब लाता है

देव

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