पसंद को भुला, जरूरतों में खो गए हो।
ऐ मेरे यारो, तुम कहा को गए हो।।
कितने अरमानों से, सजाए थे सपने
रातों जाग जाग कर, पड़ते थे संग में
सुनते थे आनी मोहब्बत का फसाना
जिंदगी में कुछ तो है ,कर के दिखाना
अब कहा नौकरी के फेर में पड़ गए हो
ऐ मेरे यारो, तुम कहा को गए हो।।
वो डिफरेंशियल से निकल, इंटेगरेशन में फंसना
वो नींदों में क्वेश्चंस का सॉल्व करना
वो वॉल्व से लेकर माइक्रो प्रोसेसर का सफर
वो बाइनरी में गर्ल फ्रेंड को लिखना खत
तुम कहा ईमेल की दुनिया में फस गए ही
ऐ मेरे यारो, तुम कहा को गए हो।।
वो आशिकी में भी जब मिलते थे साइंस
केमिस्ट्री की इकुवेशन दिलो में लगाई
लैब के कोने में, वों कसमसाई
थके चेहरों से भी, निकली अंगड़ाई
कहा तुम कमाने की फ़िक्र में पड़ गए हो
ऐ मेरे यारो, तुम कहा को गए हो।
क्या मिला , जो तुम इंजिनियर हो गए हो
पसंद को भुला, जरूरतों में खो गए हो।
ऐ मेरे यारो, तुम कहा को गए हो।।
देव
Very nice