क्यूं लोग जजमेंटल हो जाते है
क्यूं नहीं सत्य को समझ पाते है
बस, कुछ पल ही सही
बाटने खुशियां, बटोरने गम जाता हूं
और भी है मेरे जैसे
जिन्हे सम्हालने में कुछ वक़्त बीतता हूं
पर कुछ लोग इमोशनल हो जाते है
क्यूं लोग जजमेंटल हो जाते है
बस एक ही रिश्ता,
नहीं रह गया आदमी और औरत के बीच
कुछ रिश्ते समझ से परे
गहराइयों तक जाते है
कम समझ के लोग अपने कयास लगाते है
क्यूं लोग जजमेंटल हो जाते है
तन्हा मैं भी हूं
तन्हा और भी है जहां में यहां
कुछ पल मिलते है
और सब अपने गम भूल जाते है
उन्हीं मुलाकातों के लोग किस्से बनाते है
क्यूं लोग जजमेंटल हो जाते है
छोड़ो, मुझे क्या मतलब
मैं मनमर्जिया, जीता हूं जिंदगी अपनी
खुदा ने दिया है सुख भी दुख भी
पर हर पल में, जीता हूं जिंदगी अपनी
छोर दिया सोचना, लोगो के बारे में
वो, कुछ लोग, जो जजमेंटल हो जाते है
देव