सिरहाने रखें तकिए से, कुछ बात हुई
रातों में नींद क्यूं नहीं आती,
चर्चा की शुरुआत हुई
क्यूं मैं जागती हूं तन्हा रातों में
क्यूं नहीं आते है सपने सुहाने
क्यूं तैरते रहते है जेहन में, पुराने अफसाने
तकिए ने कहा: ये बस तेरी नहीं
हर किसी की कहानी है
फ़िक्र तुझे आज की नहीं
क्या हुआ कल, अफसोस की कहानी है
आंखे मूंदे तू, अपना वजूद ढूंढ़ती है
दिया जिनको तूने जीवन
उन्हें टटोलती है
हद से ज्यादा अहमियत दी है
हर किसीको
चाहे वो चाहते थे तुझे
या किसी और को
गलती तेरी नहीं,
खुदा ने बनाया ही कुछ ऐसा है
तेरे दिल में मोहब्बत है
ना शिकायत है ना धोका है
तेरी अहमियत ये तब समझेंगे
जब तू नहीं रहेगी
तेरी याद में तड़पेंगे
मैंने कहा, क्या करू ऐसा की चैन से सो पाऊं
हाल ऐसा भी नहीं की कुछ पल को मर जाऊं
तकिए ने फरमाया
निकाल कुछ पल, अपने लिए
कभी खुद से भी मिल
क्या पाना था तुझको
जरा, एक बार तो पूछ
ये सब, बस मुसाफिर है
आना जाना लगा ही रहता है
तू ठहर, कुछ सांस ले
अपने दिल की आवाज सुन
अभी जिंदगी और भी बाकी है
अभी तो शाम हुई है रात बाकी है
जवां दिल की धड़कने अभी भी है
तेरे चेहरे पे चमक अभी भी है
जो चला गया उसे भूल जरा
आज को जीलेे जरा
अफसाने और बनेंगे, तू बना तो सही
दिल फिर किसी को चाहेगा
तू मुड के देख जरा
तेरे सपनों में फिर से कोई आएगा
रखते ही सर तेरा मेरे पहलू में
तुझे सपनों के चमन में के जाएगा
देव