पूछे है राधा, क्यूं मिला किष्णा
मुझे तुम्हारा प्यार आधा
क्यूं बांटो तुम गोपियों को
मेरे हिस्से का निवाला
क्यूं तुम रास रसाओ सब संग
क्यूं तू चाहो सबको मुझ संग
किशन मुस्काए
राधा को बताए
हे राधे, तुम मैं हूं मैं तुम
और मैं कहां बाट रहा हूं
में तो सब में बसा हूं
तुम नहीं मुझसे अभिन्न
सबमें रमी हो तुम
गोपी में तुम, गैया में तुम
नन्द गांव की मैया में तुम
जब तुम है तुम हो समाई सबमें
कैसे रोकु, स्वयं को अब में
सबमें बसा है जब अंश तुम्हारा
मुझको दिखे बस सब में राधा
उनमें बसी तुम, चाहो मुझको
नेत्र खोल कर जरा तुम देखो
ये तो बस माया का जाला है
तुमको भ्रमित, कर डाला हैं
ये देखो, बस तुम हो मैं हूं
सबमें हम है, सब हम ही है।
देव