ये तो बस शुरुआत है

ये तो बस शुरुआत है
अभी तो बस, पहली मुलाकात है
अभी तो बस दरवाजे पर दस्तक दी है
अभी तो बस तुझे करीब से देखने की कोशिश की है
माना, नाकाम थी कोशिश मेरी
पर, हसरतें तुझे छूने की पूरी की है
माना, जान चली गई तुझ तक पहुंचने में
पर, आखरी सांस तो तेरी झोली में ली है

बदन मेरा राख हो गया, हाथो में तेरे
पर, रूह तो अब भी जिंदा है
मुझे पता है, मेरे हश्र पर तू भी शर्मिंदा है

पर में भी भारतीय हूं, और पुनर्जन्म मानता हूं
मेरी रूह, फिर लेगी एक नया जन्म
ये जानता हूं
मैं फिर तुझसे मिलने आऊंगा
तेरी झोली में बैठ, इठलाऊंगा
बचपन से तुझे मामा कह कर
बस बहलाता रहा खुद को
अब वक़्त है मेरा,
तेरी ज़मीन पर अपना घर बनाऊंगा

अब सपना जो देखा है, पूरा करूंगा
एक बार क्या, फिर से मरना पड़ा तो मरूंगा
फिर जन्म लूंगा, फिर तुझसे मिलने निकलूंगा
पर नहीं रुका हूं, और नहीं रुकुंगा

देव

Leave a Reply