ये मोहब्बत सबको रास नहीं आती है।

ये मोहब्बत सबको रास नहीं आती है।
कुछ है जिन्हे, दिल की, आवाज नहीं आती है।

ना दर्द, बसता है दिलो में उनके।
ना इश्क़ का जुनून मिलता है।
प्यार के नाम पर, इस बाज़ार में।
हवस का हुनर मिलता है।

जिसे देखो, अपनी जरूरतें लेकर बैठा है।
अहम है साथ, और आस लगाए बैठा है।
मेरी जिंदगी को, अपनी समझ बैठा है।
अपने जिस्म और हुस्न का बाज़ार लिए बैठा है।

जिसे देखो, वहीं मगशूल है जमाने में।
भूल सपने अपने, लगा है कमाने में।
वक़्त की भीख मांगते है, अपने ।
दिलो अब कहा बचे है सपने।

अभी भी वक़्त है, जरा सम्हाल जाओ।
अपने दिल की आवाज सुनो, उठ जाओ।
पहचानो, प्यार को अपने, सपने पहचानो।
मोहब्बत कर को जरा, इश्क़ बरसाओ।
अपना बनाओ किसी को, किसी के हो जाओ।
कुछ वक़्त, अपनों के साथ बिताओ जरा।
पता नहीं वक्त , हो जाए पूरा।

देव

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