आए कितने ही तूफ़ान यहां,
सुनामी का ज्वार यहां,
उष्ण भीषण गर्मी या फिर
बदन कपाने वाली ठंड,
हर दिन नया, कठिनाई नई,
तेरे यौवन में थी, शाम नहीं,
इम्तिहान, हर रोज लिखे,
जिसकी, नहीं कभी आस तुझे,
नन्हे को, लगा, गले अपने,
देखें थे तूने भी सपने,
कुछ किए पूरे, कुछ मिटा दिए,
दुनिया तो ना दिए, गिले शिकवे
मां बाप का फर्ज निभाया है,
स्तंभ की भांति खड़ी रही,
ना घबराई, ना पीठ दिखाई
अब जाकर, पड़ाव कहीं आया है
अब भी तू, विशाल अपार
नहीं डरती, करती वहीं,
दिल कहे, जो यार
देव
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