कुछ खास नहीं है, मेरी किताब में,

कुछ खास नहीं है, मेरी किताब में,
बस, कुछ किस्से, कुछ कहानियां,
कुछ सपने, कुछ सच्चाइयां,
बचपन की यादें, जवानी की बांते,
कॉलेज की दीवारें, कैंटीन की कतारें,
किताबो का बोझ, गली में लगा लैंप पोस्ट,
पड़ोसी की बेटी, पत्थर पे लपेट लेटर,
मेरे जज़्बात, पहले प्यार की याद,
बस, यही सब तो है,
जो बंद पड़ा था काफी सालो से,
मेरे जेहन की किताब में,
कोई नहीं पड़ता इसे,
ना कोई पहचानता है,
जिंदगी के इस मोड़ पर,
अपना भी मुंह फेर जाता है,
तुम मिले हो, पहले हो,
जिसने पूछा ये सवाल मुझसे,
चलो, तुम्हे, आज सब बताता हूं,
बहुत लंबी कहानी है
वक़्त तो है ना, तुम्हारे पास,
इत्मीनान से सुनता हूं।।

देव

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