कुछ पल यू मरकर

कौन कहता है, जो जाता है
वापस नहीं आता,
तेरा हर अंश, इस भ्रम को, तोड़ता है,
मिट कर, फिर कैसे, जुड़ते है
तेरा रूप, ये किस्सा, बिना लब्जो के, कहता है,

ये वही जुल्फे है, जो छीन गई थी कभी,
बे- उमर छुरियां पड़ गई थी कभी,
सांस, रुक सी गई थी, जिंदगी छूटी सी थी,
बदन, बेजान सा, निढाल पड़ा था कभी,

बस, जीने की मोहब्बत, प्यार अपनों का,
थोड़ा विश्वास था उस पर, बनाया जिसने था,
निकल पड़ी थी, सफर पर, दूर सबसे तू होकर,
मिली खुदा से इक नजर, वो शरमाया हरकत पर,
जा, जीले, जिंदगी, तेरी जगह है जमीं पर,
बांट खुशियां, उनको तू, कोसते है मुझे को दिन भर,
रुकी, सांस, चल पड़ी फिर, एक झटका सा यूं देकर,
नया रास्ता, हसीं रूप पाया, तूने कुछ पल यू मरकर,

देव

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