कुछ रंग मेरे भी भर दो, मेरे जीवन को भी, रंगीन कर दो,
सुना है ये आंगन, जहां गूंजती थी, किलकारियां कभी,
रंग, लेकर आ जाओ कभी,
मेरे आंगन को, रंग बिरंगा कर दो,
त्योंहार, आने का उल्लास तो अब भी है,
किसी का इंतजार अब भी है,
जितना मुझसे है, उससे कहीं ज्यादा,
प्यार करूं किसी को, चाह अब भी है,
देर, कहां, अभी तो उमर बस आधी ही गुजरी है,
कहतें है, यही तो सब हसीं, जिंदगी की घड़ी है,
सुहानी शाम, शुरू ही तो हुई है,
अभी तो जवां, रात, पूरी पड़ी हैं,
आ जाओ, आ भी जाओ, कब से इंतज़ार है तुम्हारा,
मोहब्बत से ना घबराओ,
इश्क़ ही तो है, चलो, एक बार फिर कर लो,
जाने, कौनसा पल, विरह की घड़ी हो।
देव